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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः

This Mantra is penned in the form of the discussion concerning a guru and his disciple. This Mantra is known to generally be The main element to a tranquil state of head. 

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि

न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥

नमस्ते शुम्भ हन्त्र्यै च, निशुम्भासुर घातिनि।

मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।

iti śrīrudrayāmalē gaurītantrē śiva pārvatī saṁvādē kuñjikā stōtraṁ sampūrṇam

इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे ।

दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आपके जीवन की समस्याओं और विघ्नों को दूर करने here के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। मां दुर्गा के इस स्तोत्र का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है, उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। प्रस्तुत है श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ

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